Dear colleagues,
India has become the first country to ratify the Marrakesh Treaty to facilitate access to published works for persons who are blind, visually-impaired or print disabled. This treaty would go a long way towards establishing equal rights and opportunities for education and employment for persons with print disabilities.
Like any other international treaty/ convention, it will come into force the day the 20th country ratifies it. So far, 79 World Intellectual Property Organisation member states have signed the treaty, however they are yet to ratify it. The treaty ratified by India on June 30, 2014 will facilitate import of accessible format copies from member states by authorised entities in India such as educational institutions, libraries, etc. serving the needs of visually-impaired persons.
"The development will also facilitate translation of imported accessible format copies and export of accessible format copies in Indian languages," said the statement issued by Ministry of HRD on the subject. The Indian Copyright (Amendment) Act, 2012, is reportedly already in harmony with the Marrakesh Treaty.
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India Takes Global Lead in Empowering the Blind to Read
भारत मर्राकेश समझौते को समर्थन देने वाला पहला देश बना
पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
मानव संसाधन विकास मंत्रालय
भारत सरकार
मानव संसाधन विकास मंत्रालय
02-जुलाई-2014 15:09 IST
मर्राकेश समझौता नेत्रहीनों के लिए प्रकाशित कार्यों तक पहुंच सुलभ कराने में होगा सहायक
भारत 30 जून, 2014 को नेत्रहीनों, दृष्टि बाधित व्यक्तियों के लिए प्रकाशित पुस्तकों/कार्यों तक पहुंच सुलभ कराने में मदद से जुड़े मर्राकेश समझौते को समर्थन देने वाला पहला देश बन गया है। अभी तक विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) के 79 सदस्य देशों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। 20 देशों द्वारा इस समझौते को समर्थन दिए जाने के बाद मर्राकेश समझौता लागू हो जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के स्थायी प्रतिनिधि श्री दिलीप सिन्हा ने डब्ल्यूआईपीओ के मुख्यालय में एससीसीआर (कॉपीराइट एवं संबंधित अधिकारों पर स्थायी समिति) के 28वें सत्र के दौरान आयोजित एक समारोह में डब्ल्यूआईपीओ के महानिदेशक श्री फ्रांसिस गुर्रे को समर्थन पत्र सुपुर्द किया।
मर्राकेश समझौते का मुख्य लक्ष्य नेत्रहीनों, दृष्टि बाधित व्यक्तियों के लाभ के लिए अनिवार्य सीमाओं और अपवादों के एक संकलन का निर्माण करना है। यह अनुबंधकारी पार्टियों द्वारा राष्ट्रीय विधि प्रावधानों के अनुपालन से ब्रेल जैसे स्वीकृत रुपों में प्रकाशित कार्यों के पुनर्निर्माण, वितरण तथा उपलब्धता सुनिश्चित कराने के जरिए किताबों की भीषण कमी की समस्या को दूर करने में सहायक होगा। साथ ही, यह समझौता ऐसे संगठनों, जो उनकी सेवा करते हैं, को इन पुस्तकों के विभिन्न देशों में आदान प्रदान की अनुमति भी देगा। जैसे ही मर्राकेश समझौता लागू हो जाएगा, यह भारत में लाखों नेत्रहीनों और दृष्टि बाधित व्यक्तियों के लिए प्रकाशित पुस्तकों तक पहुंच सुलभ करा देगा। यह उनके लिए शिक्षा और रोजगार के अवसरों तथा समान अधिकारों को सुनिश्चित कराने में भी मददगार साबित होगा।
यह समझौता दृष्टिहीनों के लाभ के लिए काम करने वाले शैक्षिक संस्थानों, पुस्तकालयों जैसे भारत के अधिकृत संगठनों द्वारा सदस्य देशों से सुलभ फॉरमेट प्रतियों के आयात में भी सहायक साबित होगा। यह समझौता भारतीय भाषाओं में सुलभ फॉरमेट के आयातित प्रतियों के अनुवाद तथा सुलभ फॉरमेट प्रतियों के निर्यात में भी मददगार साबित होगा। भारतीय कॉपीराइट (संशोधन) एक्ट, 2012 मर्राकेश समझौते के अनुरुप है।
यह समझौता दृष्टिहीनों के लाभ के लिए काम करने वाले शैक्षिक संस्थानों, पुस्तकालयों जैसे भारत के अधिकृत संगठनों द्वारा सदस्य देशों से सुलभ फॉरमेट प्रतियों के आयात में भी सहायक साबित होगा। यह समझौता भारतीय भाषाओं में सुलभ फॉरमेट के आयातित प्रतियों के अनुवाद तथा सुलभ फॉरमेट प्रतियों के निर्यात में भी मददगार साबित होगा। भारतीय कॉपीराइट (संशोधन) एक्ट, 2012 मर्राकेश समझौते के अनुरुप है।